baby care tips in hindi रखें अपने बच्चों का ख्याल

रखें अपने बच्चों का ख्याल | baby care tips in hindi


जो भी perents हाल ही में perents हुए है। आप सभी को शुभकमनाएं। Perents होना एक सुखद अनुभव होता है। Specially एक मां के लिए जो अपने baby को नौ महीने अपने पेट में पालती है। नौ महीने उस baby की care करती है। और जब वह अपने baby को जन्म देती है। इस से special movment लाइफ में कोई भी नहीं हो सकती। जन्म देने के बाद newborn baby care कैसे करनी है (baby care tips in hindi ) अपने शिशु का कैसे खयाल रखना है। यह आज के इस टॉपिक में जानते है।

baby care tips in hindi
baby care tips in hindi

आज हम इस(baby care tips in hindi) के आर्टिकल में newborn baby care के टॉपिक को दो हिस्सों में समझेंगे। एक तो यह कि जो baby बिल्कुल normal तरीकों से पैदा हुए है। जो healthy है, अच्छे weight के है। जिन्हे पैदा होने के बाद कोई complication नहीं हुआ उनकी किस तरह से हमें care करनी है। और दूसरा यह कि जो baby adnormal तरीकों से critical condition में , कम दिनों में पैदा हुए है जीने हम premature babies कह सकते है। जिनकी उनके parents को ज्यादा care करनी पड़ती है।

newborn baby care (baby care tips in hindi)

Baby जब पैदा होता है तब हमें baby की किस तरह से care करनी है शुरवात के दो चार दिन हमें किन बातों का खयाल रखना होता है। Baby की कौन सी बातें normal होती हैं और कौन सी बातें critical हो सकती है इसे जानना भी जरूरी है। इन सभी बातों को हम baby care tips in hindi के इस आर्टिकल में जानेंगे। जिसे आप को काफ़ी help मिल सकती है।

वैसे hospitals में डॉक्टर्स सभी तरह का खयाल रखते है। इसलिए हमें डरने की कोई बात नहीं रहती। फिर भी हमें अपनी ओर से खयाल रखना जरूरी है।Baby एकदम normal तरीकों से born हुआ may be cezerin भी हुआ तो कोई बात नहीं लेकिन baby अगर एकदम normal है, healthy है। पैदा होते ही तुरन्त baby रो दिया है। डॉक्टर्स ने भी आपको आकर कह दिया है कि baby normal है। Weight भी एकदम सही है। तो अब baby को feed करा सकते हो।

डॉक्टर्स से पूछे यह जरूरी बातें ( baby care tips in hindi )

तब पहले तो हमें डॉक्टर्स से जानकारी हासिल करनी है। वजन ठीक किया गया या नहीं, baby तुरंत रोया या नहीं, baby ने सूसू, पॉटी ठीक से किया या नहीं यह बात जानना बहुत जरूरी होता है। Normally बच्चे को पैदा होते ही 24घंटे के अन्दर पॉटी कर देनी चाहिए। जिस का रंग काला या हरा है सकता है जिसे miconium बोलते है। इसमें थोड़ा confusion है कि कोई कोई बोलते है कि born होते ही सूसू करना important होता है पॉटी एक दो दिन में भी हो सकती है।लेकिन पॉटी baby के आंतों से related होती है और सूसू kidny से।

अगर baby नार्मल है तो पैदा होते ही 24 घंटों के अंदर पॉटी कर देगा। Baby की किडनी anmature होने के वजह से सूसू करने के लिए एक दो दिन भी लग सकते है। लेकीन 99% cases में baby 24 घंटे के अंदर ही सूसू भी कर देते है। और baby का रोना भी काफ़ी important है। normal baby पैदा होते ही तुरन्त रों देते है। नहीं तो डॉक्टर्स सफाई करते वक्त उन्हें हिलाते डुलाते है तब normally baby रोते देते हैं। अगर ऐसा नहीं हुआ तो आपको बच्चे (baby) का काफ़ी खयाल रखना है। और डॉक्टर्स के rules को fallow करना जरूरी है।

बच्चे को पिलाएं मां का दूध। (baby care tips in hindi )


यह सब बातें आपको डॉक्टर्स को अच्छे तरह से पूछ लेनी है। डॉक्टर्स आपको कहेंगे की आप baby को feed दे सकते हो baby को दूध पिला सकते हो तब हमें पहला खयाल रखना है कि हमें baby को मां का ही दूध पिलाना है। शुरू का एक दो बूंद जो गाढ़ा वाला वहीं हमें baby को पिलाना है। उस हमें छोड़ना नहीं है। मां के दूध के अलावा हमें baby को कुछ भी नहीं देना है। अक्सर लोग या माएं अपने निजी परेशानी की वजह से बच्चे को गाय का दूध पिलाती है जो एक नवजात शिशु के लिए काफी harmful साबित हो सकता है।

अगर कोई सोचता है कि इतने जल्दी दूध आयेगा ता नहीं और बाहर की चीजें जैसे गुड का पानी, चाय, पानी या बाहर का दूध दे देते है। यह बिल्कुल ही wrong है। ऐसा कतई ना करे।

बच्चे को सिर्फ और सिर्फ मां का ही दूध देना है। जो baby के लिए अमृत के समान है। मां के दूध में बहुत सारी anti bodies होती है जो बच्चे को बड़ी बड़ी बीमारियों से बचाती है। उसकी immunity को strong बनाती है।

शुरू के तीन चार दिनों में बच्चा थोड़ा सुस्त रहता है। ज्यादा सोता है। तो शायद भूक के लिए ना रोए लेकिन हमें इस बात का ध्यान रखना है की बच्चे को 2-2 घंटे में मां का दूध पिलाना ही पिलाना है। अगर बच्चा बार बार दूध मांगता है तो इसकी वजह यह है कि बच्चा काफ़ी healthy है। इसलिए घबराना नहीं है बच्चे को बार बार दूध पिलाए। किन्हीं कारणों से मां को दूध नहीं आ रहा है तो ही हमें डॉक्टर्स की advise से ही डॉक्टर्स जो recomend करेंगे वहीं दूध पिलाना है।

पीलिया का रखना है खयाल। (baby care tips in hindi )


अगर आप delevary के तुरंत बाद ही घर आ जाते हो तो एक बात रह जाती है वह है पीलिया। हर बच्चे को थोड़ा बहुत ज्यादा पीलिया होता ही है। तो पीलिया के बारें में हमें कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है। सबसे important जो इसमें होता है वह है मां का blood group। आप को मां का blood group पता होना जरूरी है।

अगर मां का blood group A+ ,B+ या AB+ है तो कोई problem नहीं है। लेकीन अगर मां का blood group O, O-, A-, B- या AB- है तो हमें डॉक्टर्स को जरूर पूछना है कि बच्चे का blood group क्या है।

अगर O blood group या negative blood group के साथ कुछ भी miss match होता है तो इस condition में बच्चे को पीलिया होने के chanches बहुत ज्यादा होते है। Normally अगर आप hospital में है तो डॉक्टर्स खुद ही इस बात को बहुत ध्यान रखते है। पीलिया के लिए जो phototheropy जरूरी होती है वह को जाती हैऔर पीलिया कि जांच को जाती है।

अगर आप घर पर है तो आप को जन्म के 2-4 दिन में पीलिया पर ध्यान देना होता है। जैसे बच्चे की आंखों में पीलापन देख सकते है, या बच्चे का शरीर पीला पड़ सकता है। Normally यह होता है तो ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है। हां लेकिन डॉक्टर्स को जरूर दिखाना है।

Normal बातों पर भी रखें ध्यान। ( baby care tips in hindi )


शुरू के तीन चार दिन baby बहुत कम सूसू करता है। यह एक normal बात है। लेकीन तीन या चार दिन के बाद baby की इस frequency में बदलाव होना जरूरी है। जैसे baby जो सूसू है वह दिन में छह से सात बार दिन में और तीन से चार बार रात में baby को सूसू होनी चाहिए। शुरू के दिनों में तीन चार दिन के बाद baby ज्यादा पॉटी करने लगेगा जो की एक नॉर्मल बात हैं। यह मा की दूध के वजह से होता है । फिर भी आप डॉक्टर्स की सलाह ले सकते है।

और एक चीज़ जो normal होती है लेकिन parents इस बात पर थोड़े घबरा जाते है। जो है baby जा weight। शुरवात के 8-10 दिनों में healthy बच्चों में भी 10 to 15% body weight loss पाया जाता है।

Rashes पर ध्यान देना है जरूरी। (baby care tips in hindi )


शुरू के तीन चार दिनों में बच्चों में rashes भी develop होता है। तो इसमें हमें ध्यान देने की बात यह है कि यह rashes normal है या कोई infection है। अगर बच्चे के माथे पर, फेस पर या बॉडी पर लाल लाल colour के rashes दिखे तो घबराना नहीं है। लेकीन हा आप बच्चे को जो कपड़े पहना रहे हो वह अच्छे से धोकर साफ किए हुए हो। ध्यान रखें कि उन कपड़ों में धोते वक्त डिटर्जेंट न रह गया हो।

यदि आप नए कपड़े लाते हो तो वह भी धोकर ही पहनना चाहिए। उस के वजह से भी infection होकर rashes हो सकते है। rashes हो रहे है और वह पक रहे है या पीले पड़ गए है तो डॉक्टर्स को जरूर दिखाना चाहिए।वह नॉर्मल भी हो सकते है। और infection भी हो सकता है।

हो सकती है infection की समस्या। (baby care tips in hindi)


बच्चे की जो नाल होती है। मां के पेट मे जिस से बच्चे का connection होता है। Delivery के बाद डॉक्टर्स क्लिप लगाकर उस नाल को काट देते है। वह थोड़ा बचा होता है। हमें उस की भी care करनी जरूरी है। क्यों कि वह liver से connected होती है। अगर नाल में कोई infection होता है तो लीवर भी infected होने का डर रहता है। इसलिए baby care tips in hindi के इस article में हम ने इस बात को शामिल किया है। क्यों कि यह जरूरी है।

हमें यह खयाल रखना है कि उस में कोई infection ना हो। पहले तो हल्के गुनगुने पानी से उसे अच्छे से साफ कर लेना है। और dry के लेना है। और फिर antibiotics power उस में डाल देना है। अगर वह अच्छे से clean है anitibiotics powder की जरूरत नहीं है। बस हमें यह खयाल रखना है कि उस में कोई गंदगी ना हो।

अगर आपको उस में से पानी निकलता दिख रहा हो या कोई भी infection जैसा लग रहा है तो हमें उसे तुरंत डॉक्टर्स को जरूर दिखाना है।7 से 15 दिनों में baby की नाल गिर जाती है। उसके बाद भी हमें उस जगह को clean और dry रखनी है।


दूध पिलाते वक्त जरूरी है यह बातें। (baby care tips in hindi )


Baby को दूध पिलाते वक्त baby का सिर ऊंचा रख कर ही दूध पिलाना है। इस बात का भी खयाल रखना है। लेटे लेटे बच्चे को दूध नहीं पिलाना है। और दूध पिलाने के बाद बच्चे को डकार जरूर दिलानी है। बच्चे का बार बार दूध पलट देना या उल्टी के देने का यही reason है कि उसे अच्छे से डकार नहीं दिलाई गई। अक्सर ऐसा होता है रात में baby जागता है तो माताएं उन्हे लेटे लेटे ही दूध पिलाती हैं। आप को इस बात को ध्यान रखना है। आप उठकर बच्चे का सिर ऊंचा रखकर ही दूध पिलाए।

Baby के मसाज के लिए हमें बिल्कुल जल्दबाजी नहीं करनी है। एक दो या चौथे दिन से एकदम मालिश करना शुरू नहीं करना है। अगर baby healthy हो फिर भी। 10 से 12 दिन बाद ही हमें बच्चे का मसाज शुरू करना है।

देखिए बच्चा नया नया दुनिया में आया है। उसका बड़े प्यार से, positive तरीक़े से, बड़ी care के साथ welcome होना चाहिए।radiation वाली चीजें जैसे मोबाइल, टीवी या अन्य गाझेट्स बच्चों से दूर रखना चाहिए। Baby जब जग रहा है तब उसके साथ खेलिए, बातें करे touch करिए। Touch के जरिए बच्चे के brain में massage जाता है कि यह मेरे parents है। ऐसे तरीक़े बच्चे को positive feedback देते है।

 

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